नयी दिल्ली, पटना ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) ने विश्व योग दिवस 21 जून के अवसर पर वर्चुअल योग सत्र का आयोजन किया, जहां योग गूरू स्मिता ब्रहचारी ने लोगों को योग संबंधी जानकारी दी।
जीकेसी योग और खेल प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय प्रभारी प्रेम कुमार ने बताया कि विश्व योग दिवस 21 जून के उपलक्ष्य पर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के सौजन्य से वर्चुअल योग सत्र का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है जुड़ना या एकजुट होना। योग मे अलग- अलग आसन होते है, जिसे यदि नियमित रूप से करे तो हमें बहुत लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि जीकेसी खेल,योगा और फिटनेस
प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती स्मिता ब्रह्मचारी ने इस सत्र को संबोधित किया। सत्र का संचालन डिजिटल-तकनीकी के ग्लोबल महासचिव सौरभ श्रीवास्तव ने किया।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में योग हमारी बहुत मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। यह तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायता करता है और आपको आराम से रहने में मदद करता है। योग करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। सिर्फ 10-20 मिनट का योग हर दिन आपके स्वास्थ्य को अच्छा रहने में मदद कर सकता है। यदि हम नियमित रूप से योग का अभ्यास करे तो जीवन मे नकारात्मक विचारों से छुटकारा पा सकते है।
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार के लिये योगा जरूरी : योग गुरु स्मिता ब्रह्मचारी
योग गुरु स्मिता ब्रह्मचारी ने सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए योगा सबसे अच्छा माध्यम है।उन्होंने सत्र के दौरान पांच वैसी बीमारियों की चर्चा की, जिससे लोग सबसे ज़्यादा परेशान थे, जिनमें पहली बीमारी पीठ दर्द , दूसरी डायबिटीज, तीसरी आर्थराइटिस, चौथी डिप्रेसन और पांचवी एसिडिटी है। उन्होंने बताया कि बैक पेन के लिए मर्जरि आसन, भुजंगासन त्रिकोणासन और सेतु बंधासन काफ़ी कारगर है।
उन्होंने कपालभाति , अनुलोम विलोम , मंडूक आसन , शसाक आसन , वक्रासन और गोमुखआसन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमें अपने स्वास्थ्य चेक करने के लिये किसी एक्सिक्यूटिव हेल्थ प्लान की की ज़रूरत नहीं है। यदि हम आठ लक्षण चेक करें तो हमें पता चल सकता है कि हम स्वस्थ हैं या नहीं।
आर्युवेद में कहा गया है देहे सर्वत्र चोष्णस्य समता लाघवं सुखम्। क्षुत्तीक्ष्णा गाढ़निद्रा च मनसोऽपि प्रसन्नता ॥ शरीरे कर्मसामर्थ्य अनालस्यं च कर्मसु स्वतःस्वेदोगमः काले स्वस्थतांलक्षयन्ति हि ॥ अर्थात यदि हमारा पेट साफ़ हो , हमारा वज़न सही हो ,त्वचा साफ़ हो ,हमें आलस नहीं आता हो ,हमें अच्छी भूख लगती हो, अच्छी नींद आती हो, शरीर में कहीं कोई पीड़ा नहीं हो और हमारा मन रहता हो तो हम अपने आपको स्वस्थ मान सकते हैं अन्यथा नही।
स्मिता ब्रह्मचारी ने अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें रहन सहन पुनः पुराने तरीके से करने की सलाह दी और कहा कि जो रहन सहन हमारे दादा/नाना करते थें हमें वापस उनका ही पालन करना चाहिए। सत्र के दौरान उन्होंने लोगों को विभिन्न एक्सक्यूप्रेसर पॉंट्स बताया जिससे कि तनाव को कम किया जा सकता है।उन्होंने पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस,एसिडिटी के बारे में भी चर्चा की एवं कुछ निदान बताए। बैक पैन, डिप्रेशन, मधुमेह, पीकोस/पीओडी के लिए भी उन्होंने आसन बताए।आर्थ्राइटिस सायऐटिका के लिए उन्होंने आसन करवाया एवं चेयर योगा जिसको कम से कम समय(तकरीबन 10 मिनट) में करके लाभ लिया जा सकता है के बारे में जानकारी दी।और अंत में उन्होंने ॐ का सही उच्चारण एवं उससे होने वाले प्रभाव को बताया।